" तेरा जिक्र "
कभी दर्द जो होता है,
आंखें बंद कर देता हूं ।
भीगे अश्कों को चुम कर,
खामोशी से पी लेता हूं ।।
तन्हाईयां भरी हर रात में,
घंटे दो घंटे रोता हूं ।
आँखों से लाचार बन,
तशवीरें तेरी पिरोता हूं ।।
यादों में तू रह गया,
अब ख्वाबों को संजोता हूं ।
दर्द भरी दरखास्त के,
उस तकिए पर ही सोता हूं ।।
© harishbearboy
आंखें बंद कर देता हूं ।
भीगे अश्कों को चुम कर,
खामोशी से पी लेता हूं ।।
तन्हाईयां भरी हर रात में,
घंटे दो घंटे रोता हूं ।
आँखों से लाचार बन,
तशवीरें तेरी पिरोता हूं ।।
यादों में तू रह गया,
अब ख्वाबों को संजोता हूं ।
दर्द भरी दरखास्त के,
उस तकिए पर ही सोता हूं ।।
© harishbearboy