...

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" तेरा जिक्र "
कभी दर्द जो होता है,
आंखें बंद कर देता हूं ।

भीगे अश्कों को चुम कर,
खामोशी से पी लेता हूं ।।

तन्हाईयां भरी हर रात में,
घंटे दो घंटे रोता हूं ।

आँखों से लाचार बन,
तशवीरें तेरी पिरोता हूं ।।

यादों में तू रह गया,
अब ख्वाबों को संजोता हूं ।

दर्द भरी दरखास्त के,
उस तकिए पर ही सोता हूं ।‌।

© harishbearboy