हुक्म नहीं मेरी जान बस हक जताया था
माना की तेरी बातों पर हम ने सवाल उठाया था
पर हुक्म नहीं मेरी जान बस हक जताया था
क्या करते हम दिल जल उठा था हमारा.....
माना की बस यूं ही तेरी लबों...
पर हुक्म नहीं मेरी जान बस हक जताया था
क्या करते हम दिल जल उठा था हमारा.....
माना की बस यूं ही तेरी लबों...