...

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हुक्म नहीं मेरी जान बस हक‌‌ जताया था
माना की तेरी बातों पर हम ने सवाल उठाया था
पर हुक्म नहीं मेरी जान बस हक‌‌ जताया था

क्या करते हम दिल जल उठा था हमारा.....
माना की बस यूं ही तेरी लबों पर उनका जिक्र आया था

खफा हो गए बिना मेरे जज़्बातों को समझे तुम
बस बात कही थी अपनी हम ने कब तुम्हें गलत ठहराया था

चलों तुमने इक वादा किया अब हम भी इक वादा करते हैं
ये आख़री दफा होगा जब हम ने तेरा दिल दुखाया था
© rupali shrivastav