...

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वो सब जानती है!
वो जान जाती है चेहरे के भाव,
बिन बताए उसे पता चल जाता है,
तुम्हें सिरदर्द है या आज
दफ्तर में किसी ने ऊंचा कह दिया,
केवल फोन पर आवाज़ सुनकर
कि कुछ गड़बड़ है—
न जाने कैसे भांप लेती है वो?!
खुशी भी ताड़ लेती है,
खामोशी से आकर सिर पर पड़ी
सूखी पत्ती को हौले से
झाड़ देती है,
न ध्यान दो खुद पर कभी तो गाल पर
इक प्यारी सी चपत भी
लगा देती है वो,
मूड ख़राब हो तो वहीं पुराना फ़िज़ूल सा
लतीफ़ा सुना देती है वो,
सचमुच कोई नहीं हो सकता उसके जैसा,
मां कहते हैं जिसको!

—Vijay Kumar
© Truly Chambyal