...

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सोचना भी
सोचना भी गवारा हो गया है मेरा,
उनसे बात करने के सिलसिले मैं
कुछ भी जताते नही हैं,
चाहे कितना ही क्यों ना याद करले हम उन्हे
ये क्या कश्मकश में हैं की न बात कर सकते है ना कुछ और काम कर सकते हैं......
अंदाज़ा नही हैं उन्हें कोई भी...