...

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बोझिल कंधों से बचपन बह गए
इक किताब मिली अलमारी से
थे पन्ने कुछ घूर रहे शिकारी से

स्याही के सब रंग उड़े हुए थे
पन्ने पर आपस में जुड़े हुए थे

कुछ पन्ने चाट चुके थे दीमक
पर इसकी अब भी थी कीमत

शायद बचपन का ताना बाना था
अगला किस्सा तो याराना था

अतीत...