...

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रुख हवा का
आज हवा ने फिर रुख मोड़ा है,
कुछ भूली बिसरी यादों का दरवाजा खोला है,
एक हल्के से झोंके ने कुछ सपनों को तोड़ा है,
आज हवा ने फिर रुख मोड़ा है।

लौटा लाई है ये हमें फिर उस दौर में,
जब दो करीबी अंजान हुआ करते थे,
होंठों पर चादर चुप्पी की ओढ़े,
आँखों से बातें किया करते...