कहना बहुत कुछ है.....
कहना बहुत है कुछ कह नहीं पाता
रह रहा हूं तेरे बिन पर रह नहीं पाता।
पता नहीं किस जहां में खो गई हो तुम,
हंसती अंखियां भिगो गई हो तुम।
चांदनी रातें अब डसने लगी हैं,
दीवारें तेरे बिन अब हंसने लगी हैं।
अब तो सूना सा लागे आंगन मेरा,
जब से छूटा है दामन तेरा। ...
रह रहा हूं तेरे बिन पर रह नहीं पाता।
पता नहीं किस जहां में खो गई हो तुम,
हंसती अंखियां भिगो गई हो तुम।
चांदनी रातें अब डसने लगी हैं,
दीवारें तेरे बिन अब हंसने लगी हैं।
अब तो सूना सा लागे आंगन मेरा,
जब से छूटा है दामन तेरा। ...