...

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ज़िंदगी
गौर से देखा सबके चेहरों को, बहुत कुछ कहती है ये नन्नी सी नज़रे
फिर मैंने सोचा और समझा
जिस जिंदगी को जी रहा हूं, उसे समझा जाए ये ख्याल सताया
तो पलट डाले ज़िंदगी के कई पन्ने, अपने साथ औरों के जीवन को भी एहसास में लाया

किसी और की मुस्कान का कारण बनकर देखा
तो शब्दों में बयान ना हो वो एहसास हुआ है
देखा कि जिन उपलब्दियों के साथ में जी रहा हूं , वो जीवन भी किसी का सपना है

सुख - दुख की भी सबकी अपनी वजह है
ये तो महिमा है उसकी जिसका ये जहां है

किसी को दो दिन पुरानी रोटी में भी खुश देखा है
किसी को पंच पकवान की थाली में भी रूठा सा देखा है
देखा है किसी को एक साइकिल में भी खुश
और देखा है किसी को बड़ी गाड़ी मिलने पर भी मायुस
किसी को 80 हजार के पलंग पर भी नींद से झुझता देखा है
किसी को फटी हुई चटाई पर भी सुखून से सोता देखा है
देखा है अपनो को परायों सा बर्ताव करते हुए
फ़िर अंजानों की बस्ती में अपनों को भी खोजा है

बहुत कुछ हो जाता है एक पल में -

किसी घर में जन्म तो किसी घर में मृत्यु
किसी का प्रमोशन तो किसी का डिमोशन
किसी की मांग में सिन्दूर तो किसी का सुहाग उजड़ जाता है
किसी को ख़ुशी से उछलता तो किसी को दुःख से फंदे पर लटकता देखा है

आजमाया है हर मोड़ पर जिंदगी ने
कुछ देकर, कुछ लेकर देखा है

अंत में इतना ही कहूँगा -

देख रहा है वो सब जिसने तुम्हें बनाया है
शायद तुम्हें अपनी क्षमताओं का एहसास नहीं
इसलिए उसने ये खेल रचाया है

कभी अपने आप से प्यार करके देखो
जो है उसमें खुश होकर तो देखो
जो पाना है उस तरफ कोशिश करके तो देखो
और मिले ही वक्त अगर तो किसी और के लिए जी करके तो देखो ।

© Rohit Lokhande