...

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ग़ज़ल
थोड़ा सा आफ़ताब जैसा है
थोड़ा सा माहताब जैसा है

महकी-महकी सी हैं मेरी ग़ज़लें
उसका चेहरा गुलाब जैसा है

वो कोई भी नशा नहीं करता
फिर भी लगता शराब ...