क्या केहना चाहती हूँ
क्या चल रहा है दिमाग में कुछ पता नहीं,
कभी कुछ गलत लगता है कभी कुछ सही।
एक पल में सब अच्छा लगने लगता है,
एक पल में सब गलत।
इतने सालों से है साथ में, सब मिलजुल कर
फिर भी दिल की बात केहने में लगता है बहुत डर।
मन करता है कह दूं सब दिल खोलकर,
पर होंठ जेसे सिल जाते आपको देखकर।
आँखें खोल कर देखा तो बहुत लोग हैं आसपास,
आँखें बंद कर लूँ तो कोई भी नहीं हो महसूस।
उसी दिन के इंतजार में हूं, जिस दिन
दिल खोलकर बेझिझक आपको सब बोल सकूं।
में इतनी भी गलत नहीं हूं, जेसी बना दी गयी हूं।
© psycho
कभी कुछ गलत लगता है कभी कुछ सही।
एक पल में सब अच्छा लगने लगता है,
एक पल में सब गलत।
इतने सालों से है साथ में, सब मिलजुल कर
फिर भी दिल की बात केहने में लगता है बहुत डर।
मन करता है कह दूं सब दिल खोलकर,
पर होंठ जेसे सिल जाते आपको देखकर।
आँखें खोल कर देखा तो बहुत लोग हैं आसपास,
आँखें बंद कर लूँ तो कोई भी नहीं हो महसूस।
उसी दिन के इंतजार में हूं, जिस दिन
दिल खोलकर बेझिझक आपको सब बोल सकूं।
में इतनी भी गलत नहीं हूं, जेसी बना दी गयी हूं।
© psycho