शाम की बाते
डाल कर तुम्हारी कमर पर हाथ, सटा कर तुमसे अपना बदन
थाम कर तुम्हारा दूसरा हाथ, सुना कर तुम्हारे कान मे एक नज़्म
जला कर आँखों मे उम्मीदों के चिराग, आओ चलो झूमे इस शाम के तले
ओढ़ कर सुकून ए इश्क का लिहाफ, आओ शुरू...
थाम कर तुम्हारा दूसरा हाथ, सुना कर तुम्हारे कान मे एक नज़्म
जला कर आँखों मे उम्मीदों के चिराग, आओ चलो झूमे इस शाम के तले
ओढ़ कर सुकून ए इश्क का लिहाफ, आओ शुरू...