झूठी गजल गुनगुनाना तय है
झूठी गजल गुनगुनाना
तय है
उसकी आंखों पर आना
तय है
रोक लू निर्बाध उसे
फिर भी दिल में धड़कना
तय है
फिरता हूं मारा-मारा
मर जाना तय है
दोस्त का दोस्ती में
दुश्मन बन जाना तय है
चंद सियासत घोल दे अगर तो
रिश्ता नाता मिट जाना
तय है
मुखौटा लगाकर घूमते हैं लोग यहां
दर्द पर शुल चुभाना तय है
सियासत की रोटी चमकाने के लिए
गर्दन कट जाना तय है
कदम दर कदम पर जय चंद बैठे हैं
विश्वासघाती को
विश्वासघात करना तय है
आस्तीन के साथ चलने पर
डस जाना तय है
चढान पर चढ़ाई में
लुढ़क जाना तय है
मुश्किल है जिंदगी देकर खुशीयां पाना
हाथ छोड़ देने पर
खो जाना तय है
साथ देते हैं
पर छोड़ जाना तय है
मुकद्दर का लिखा
मिट जाए तय है
अगर पाने की कोशिश ना किए तो
हाथ में आए हाथ...
तय है
उसकी आंखों पर आना
तय है
रोक लू निर्बाध उसे
फिर भी दिल में धड़कना
तय है
फिरता हूं मारा-मारा
मर जाना तय है
दोस्त का दोस्ती में
दुश्मन बन जाना तय है
चंद सियासत घोल दे अगर तो
रिश्ता नाता मिट जाना
तय है
मुखौटा लगाकर घूमते हैं लोग यहां
दर्द पर शुल चुभाना तय है
सियासत की रोटी चमकाने के लिए
गर्दन कट जाना तय है
कदम दर कदम पर जय चंद बैठे हैं
विश्वासघाती को
विश्वासघात करना तय है
आस्तीन के साथ चलने पर
डस जाना तय है
चढान पर चढ़ाई में
लुढ़क जाना तय है
मुश्किल है जिंदगी देकर खुशीयां पाना
हाथ छोड़ देने पर
खो जाना तय है
साथ देते हैं
पर छोड़ जाना तय है
मुकद्दर का लिखा
मिट जाए तय है
अगर पाने की कोशिश ना किए तो
हाथ में आए हाथ...