...

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ऐ खुदा
ऐ खुदा... गर तेरी है ये रज़ा
तो लो मैं झुक गया
बना दे जो बनाना है
मिटा दे जो मिटाना है
नहीं भागूंगा अब और
कि लो मैं रुक गया
ऐ खुदा...गर तेरी है ये रज़ा
तो लो मैं झुक गया…
क्या है ये खुदा,
क्या है मुझे पता
क्या हूं मैं?
बस एक सज़ा
आजमाता रहा तू मुझे हर पहर
बचता रहा हो गई अब सहर
गुंजाइशें तो बहुत है अभी भी भागने की
पर दिल अब मेरा जाने क्यूं दुख गया
ऐ खुदा...गर तेरी है ये रजा
तो लो मैं झुक गया