...

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कल्पना हो तुम
कफत में एक भीड़ ही है
मेरे पास
जो अच्छी नही लगती
आंखे ख्बाव देखती हैं
अनायास ही आंसू आ जाते हैं
एक वक्त तो समझ नही आता
ये दिल की बातें कहीं किसे जाए
लेकिन कल्पनाओं से प्रेम जरुरी है
क्योंकी
ये तो तुम हो जो रह रह कर
आ जाते हो बाहर
मेरी ही बनाई इस
काल्पनिक दुनियां से ,
और सुन लेते हो
मेरे दिल की तमाम खीच खीच,
दे देते हो बेहिसाब तस्सली
और मेरे बिखरे सपनो को
समेट लेते हो
~शैली { स्वरचित पंक्तियां }




© @sanguineshaili