...

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हक़ीक़त
मुझे मालूम है जन्नत की हकीकत
मुझे रंगीन ख्वाब ना दिखाया करो

वो जो कहते हो की तुमको भूल जाऊ
मैं मुझे रातों में तुम ना याद आया करो

वक्त के साथ भर जायेंगे ये जख्म मेरे
मैं दरीया बन गया हू अब बह जाने दो

कभी किसी सहराओ पर फिर मिलेंगे हम
अभी जाने दो और ना जलाया करो

मुझे मालूम है जन्नत की हकीकत
मुझे अपने ख्वाब ना दिखाया करो ।

© सियाह