हम दो किनारे
हम दो किनारे चुपचाप
देखते है एक दूसरे को दूर से
बीच में है मतभेद का तेज धारा
चाहकर भी हम मिटा नहीं सका।
जितना पास आना चाहूं
बढ़ जाती है हमारी दूरियां
इतनी मजबूर इतनी बेबस
चाहकर भी हम एक हो न पाया।
हम दो किनारे सदियों से
नहीं मिलते आपस में
जब तक है ये बीच का झमेला
चाहकर भी हम करीब हो न पाएगा।
© biji
देखते है एक दूसरे को दूर से
बीच में है मतभेद का तेज धारा
चाहकर भी हम मिटा नहीं सका।
जितना पास आना चाहूं
बढ़ जाती है हमारी दूरियां
इतनी मजबूर इतनी बेबस
चाहकर भी हम एक हो न पाया।
हम दो किनारे सदियों से
नहीं मिलते आपस में
जब तक है ये बीच का झमेला
चाहकर भी हम करीब हो न पाएगा।
© biji