...

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तन्हाई
पसंद है मुझे,
अपनी तन्हाई भी,
बहुत शिद्दत से,
किसी को कभी,
पुकारा नहीं हूं मैं,
कभी किसी ने,
कहा ही नहीं,
कि रूक जाओ,
ठहर जाओ,
मुसाफ़िर तो हूं,
बंजारा नहीं हूं मैं,
महसूस करना होगा,
मेरे वजूद को,
दूर से दिखाई दे,
वो चमकता,
सितारा नहीं हूं मैं।
- राजेश वर्मा
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