...

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पुरुष
पुरुष अपना पुरूषार्थ स्त्री को प्रताड़ित कर नहीं बल्कि साथ देकर दिखाना चाहता है
जानती हूं ऐसे पुरुष कम है मगर मैं काल्पनिक पुरुष की इस छवि को देख कर खुश हूं
एक ऐसा पुरुष जो खुद को निर्दयी नहीं दिखाना चाहता
बल्कि
पुरुष चाहता है कि उसके मौन को भी कोई सुने
पुरुष के हिस्से में प्रेम दया हार मान कर बैठ जाना कभी नहीं आता
पुरुष सोचता है कि कवि कभी उसके संघर्ष को भी लिखे
पुरुष सोचता है कभी कोई उसके सौन्दर्य का भी बखान करे
पुरुष चाहता है कि संसार सिर्फ उसके कठोरता को ही ना देखे
देखें उसके कोमल हृदय को भी
पुरुष चाहता है एक ऐसा इन्सान जिसके सामने वो जी भर के रो सके
अगर स्त्री चाहती है कि हर कोई सिर्फ उनकी सुंदरता की तारीफ ना करें तो पुरुष भी चाहते हैं हर कोई उनके कमाई के हिसाब से उन्हें इज्ज़त ना दे