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ना मैं कहीं
कैसे कह दूं दुनिया से
ये अपना किस्सा ख़त्म हुआ...
कभी शोर सा गुंजता है तू
जेहन में मेरे...
तो कभी याद करू तो
रूह में सूकुन सा
कभी तड़पू तो दिल में धड़के तू
तो कभी ज्वालामुखी के लपटों की तपन सा
सफर में अकेली हूं
तू भी तन्हा सही...
ये ख्याल ही जिंदा रखे हैं
वरना ना तू कहीं
ना मैं कहीं....
© श्वेता_साहिबा
ये अपना किस्सा ख़त्म हुआ...
कभी शोर सा गुंजता है तू
जेहन में मेरे...
तो कभी याद करू तो
रूह में सूकुन सा
कभी तड़पू तो दिल में धड़के तू
तो कभी ज्वालामुखी के लपटों की तपन सा
सफर में अकेली हूं
तू भी तन्हा सही...
ये ख्याल ही जिंदा रखे हैं
वरना ना तू कहीं
ना मैं कहीं....
© श्वेता_साहिबा
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