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कितना बतलाऊं उसका दर्द मैं तुम्हें "चन्दन"🥺💔
अकेली रातों में तन्हा रो रहा था कोई,
अपने ही हौसलों को जैसे खो रहा था कोई,
हमने भी पास जाके जानने की कोशिश की,
अपने ज़ख्मों को आँसुओं से धो रहा था कोई ||
दर्द गहरा मिला था उसको दिया उसने जो,
आज दिल उसका लूट के चला गया था कोई,
जितने सपने सजाएँ उसने अपने दिल में थे,
पल में यूँ उनको रौंद कर चला गया था कोई ||
ज़िन्दगी मौत की एक जंग चल रही थी वहाँ,
यूँ अकेले किसी ख़ातिर तड़प रहा था कोई,
कितना बतलाऊं उसका दर्द मैं तुम्हें "चन्दन",
दिल से भर - भर के बद्दुआएँ दे रहा था कोई ||
© 💞चन्दन नाविक 'विनम्र'💞
अपने ही हौसलों को जैसे खो रहा था कोई,
हमने भी पास जाके जानने की कोशिश की,
अपने ज़ख्मों को आँसुओं से धो रहा था कोई ||
दर्द गहरा मिला था उसको दिया उसने जो,
आज दिल उसका लूट के चला गया था कोई,
जितने सपने सजाएँ उसने अपने दिल में थे,
पल में यूँ उनको रौंद कर चला गया था कोई ||
ज़िन्दगी मौत की एक जंग चल रही थी वहाँ,
यूँ अकेले किसी ख़ातिर तड़प रहा था कोई,
कितना बतलाऊं उसका दर्द मैं तुम्हें "चन्दन",
दिल से भर - भर के बद्दुआएँ दे रहा था कोई ||
© 💞चन्दन नाविक 'विनम्र'💞
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