अरज ✍️✍️✍️
सुनलो अरज मोरी लाड़ली जी कित आन मिले मोको बरसाना !
रज रज में छाप तुम्हारी बसी, है मोहे उसी रज में रम जाना !
प्राणप्रिये तुम बांके बिहारी की राधे जाप अमूल्य खजाना !
टेरी करू विनती निश दिन, बरसाने मोहे एक बार बुलाना !
कृष्णा बिना तुम्हारे न मिले, अरु कृष्णा को धाम है प्रिय बरसाना !
लाड़ली तुम वृषभानु जनक की, तो पर वार दियो सब धामा !
प्रेम से सिंचित मोह से पूरित, महिमा...
रज रज में छाप तुम्हारी बसी, है मोहे उसी रज में रम जाना !
प्राणप्रिये तुम बांके बिहारी की राधे जाप अमूल्य खजाना !
टेरी करू विनती निश दिन, बरसाने मोहे एक बार बुलाना !
कृष्णा बिना तुम्हारे न मिले, अरु कृष्णा को धाम है प्रिय बरसाना !
लाड़ली तुम वृषभानु जनक की, तो पर वार दियो सब धामा !
प्रेम से सिंचित मोह से पूरित, महिमा...