...

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काली तख़्ती जैसी ये दुनिया
काली तख्ती जैसी यह दुनिया
काले कामो से निपटी है
कर्म धर्म से परे यह दुनिया
बेबुनियाद ही धोके में जीती है

बेरंग अपनी जिंदगी को रंगने की कोशिश में
दिखावे को साथी बनाती है
उमंग भरे रंग को दबाने की कोशिश में
खुद का ही मजाक बनाती है

कोई सफेद चौक सा आकर
काले हिस्सों को नुमाया करता है
तो उस पर अपराधी का ताज सजा कर
नफरत का नमूना बताया जाता है

मयूर पराशर
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