ख़ामोश लफ्ज़
जो सुन नहीं सकता है कभी कोई, हाँ वैसा कोई
दर्द-भरा शोर है ये
जिस अंधेरी रात की कभी सुबह ही ना हो, वैसी
कोई भोर है ये
अपने पीठ पर सारे जहान का ग़म बेवजह उठाए आती है, बिल्कुल ठीक वैसी ही
कोई चोर है ये
हाँ जो बोलती तो बहुत है,
चीखती है चिल्लाती है, मग़र
फिर भी कभी किसी के कानों तक पहुंच ही नहीं पाती है इसकी कोई चीख़
किसी बेज़ुबां लफ़्ज़ों की वैसी ही
कोई डोर है ये
हाँ ये ख़ामोशी है, ख़ामोशी....
जिसकी चुप्पियाँ किसी कब्रिस्तान की तरह है
जिसके बवंडर, आनेवाले किसी खौफनाक
तूफ़ान की तरह है
जिसका दर्द, जिसकी चीख़ किसी
श्मशान की तरह है
हाँ ये वो है जिनके टूटने की वज़ह भी लब ही हैं,
और फ़िर किसी क़ब्र के अन्दर पड़े लाश की तरह चुप्पियों की घटाओं को
मज़बूर होकर चुप-चाप ओढ़ने की
वज़ह भी लब ही हैं
एक शख़्स के दर्द की कोई शरहदें ही ना बचीं हों जब,,,,
जब जैसे कोई आकाल-सा आ गया हो उसकी आंखों में,
उसकी आँखों की जमी के गहराई में भी नाम मात्र नमीं भी ना हो,,,
ज़िंदगी के उन्हीं हिस्सों का कोई
दर्दनाक-सा दौर है ये
हाँ जो सुन नहीं सकता है कभी कोई, हाँ वैसा कोई दर्द-भरा शोर है ये
हाँ जो बोलती तो बहुत है,
चीखती है चिल्लाती है, मग़र
फिर भी कभी किसी के कानों तक पहुंच ही नहीं पाती इसकी कोई चीख़
किसी बेज़ुबां लफ़्ज़ों की वैसी ही कोई डोर है ये
हाँ ये ख़ामोशी है, ख़ामोशी....
© Kumar janmjai
#KHAMOSHIYAN KI ZUBAAN
#FOR SPECIAL ONE
#PRINCEJAI
#KUMAR JANMJAI
#THE JAI
दर्द-भरा शोर है ये
जिस अंधेरी रात की कभी सुबह ही ना हो, वैसी
कोई भोर है ये
अपने पीठ पर सारे जहान का ग़म बेवजह उठाए आती है, बिल्कुल ठीक वैसी ही
कोई चोर है ये
हाँ जो बोलती तो बहुत है,
चीखती है चिल्लाती है, मग़र
फिर भी कभी किसी के कानों तक पहुंच ही नहीं पाती है इसकी कोई चीख़
किसी बेज़ुबां लफ़्ज़ों की वैसी ही
कोई डोर है ये
हाँ ये ख़ामोशी है, ख़ामोशी....
जिसकी चुप्पियाँ किसी कब्रिस्तान की तरह है
जिसके बवंडर, आनेवाले किसी खौफनाक
तूफ़ान की तरह है
जिसका दर्द, जिसकी चीख़ किसी
श्मशान की तरह है
हाँ ये वो है जिनके टूटने की वज़ह भी लब ही हैं,
और फ़िर किसी क़ब्र के अन्दर पड़े लाश की तरह चुप्पियों की घटाओं को
मज़बूर होकर चुप-चाप ओढ़ने की
वज़ह भी लब ही हैं
एक शख़्स के दर्द की कोई शरहदें ही ना बचीं हों जब,,,,
जब जैसे कोई आकाल-सा आ गया हो उसकी आंखों में,
उसकी आँखों की जमी के गहराई में भी नाम मात्र नमीं भी ना हो,,,
ज़िंदगी के उन्हीं हिस्सों का कोई
दर्दनाक-सा दौर है ये
हाँ जो सुन नहीं सकता है कभी कोई, हाँ वैसा कोई दर्द-भरा शोर है ये
हाँ जो बोलती तो बहुत है,
चीखती है चिल्लाती है, मग़र
फिर भी कभी किसी के कानों तक पहुंच ही नहीं पाती इसकी कोई चीख़
किसी बेज़ुबां लफ़्ज़ों की वैसी ही कोई डोर है ये
हाँ ये ख़ामोशी है, ख़ामोशी....
© Kumar janmjai
#KHAMOSHIYAN KI ZUBAAN
#FOR SPECIAL ONE
#PRINCEJAI
#KUMAR JANMJAI
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