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ना
ना कितना कमाल का शब्द हैं ना, जिसका इस्तेमाल हम बहुत कम करते हैं, पर जितना हां बोलना ज़रूरी हैं उतना ही ना भी, ना कहना आना चाहिए,क्यों ना आज ना कहा जाए, उस हर बात के लिए जो पसंद नहीं, उस हर काम के लिए जो काम करना पसंद नहीं, हिम्मत करके के क्यों ना आज ना बोला जाए, ऑफिस और घर के कितने काम ऐसे होते हैं जिस के लिए ना बोलने का मन करता हैं हम कर नहीं पाते क्यों ना आज उस हर बात के लिए ना बोला जाए,
क्यों ना जो बातें तकलीफ देती हैं, उन बातों को ना कहा जाए, क्यों ना जो सवाल तकलीफ देते उन सवालों के जवाब देने से मना किया जाए, क्यों ना आज ना बोला जाए,
क्यों ना आज अपने दिल की सुनी जाए, जिस चीज़ को दिल करना चाहता हैं उसे किया जाए, और जिस काम को करने की गवाही मन नहीं देता उसे मना किया जाए, क्यों ना आज ना कहने की हिम्मत दिखाई जाए, क्यों ना आज ना बोला जाए,
कितनी बातें कितनी चीज़े ऐसी होती हैं ना हर रोज़ जिनके लिए हम ना बोलना चाहते पर बोल नहीं पाते, क्यों ना उस हर बात के लिए उस हर सवाल के लिए ना बोल जाए, कि बस अब और नहीं, क्यों ना आज हां किया बजाए ना बोलने किया ख़ुशी को महसूस किया जाए, क्यों ना आज ना बोला जाए.


© नेहा शर्मा