ना
ना कितना कमाल का शब्द हैं ना, जिसका इस्तेमाल हम बहुत कम करते हैं, पर जितना हां बोलना ज़रूरी हैं उतना ही ना भी, ना कहना आना चाहिए,क्यों ना आज ना कहा जाए, उस हर बात के लिए जो पसंद नहीं, उस हर काम के लिए जो काम करना पसंद नहीं, हिम्मत करके के क्यों ना आज ना बोला जाए, ऑफिस और घर के कितने काम ऐसे होते हैं जिस के लिए ना बोलने का मन करता हैं हम कर नहीं पाते क्यों ना आज उस हर बात के लिए ना बोला जाए,
क्यों ना जो...
क्यों ना जो...