जगत की रीति
जगत की ये रीति वही पुरानी है
असफलता के बाद ही लिखी जाती
सफलता की कहानी है
भले ही वो चाह कितनी ही पुरानी है
पांव में जूते ना हो
फटे पुराने तुम्हारे हाल हो
अंदर से तुम बेहाल हो
फिर भी तुम्हें मुस्कुराते रहना है
अब तो मुस्कान ही तुम्हारा कहना है
फिर तो मुसीबतों का भी क्या ही कहना है
क्योंकि
जगत की ये रीति वही पुरानी है
असफलता के बाद ही लिखी जाती
सफलता की कहानी है
भले ही वो चाह कितनी ही पुरानी है
तुम हार चुके हो
तुम थक चुके हो
दौड़ दौड़ कर पसीना बहा चुके हो
फिर भी तुम्हें चलते जाना है
मंजिल थोड़ी देर से भले ही मिले
फिर भी तुम्हें धीरे-धीरे ही सही
लेकिन चलते...
असफलता के बाद ही लिखी जाती
सफलता की कहानी है
भले ही वो चाह कितनी ही पुरानी है
पांव में जूते ना हो
फटे पुराने तुम्हारे हाल हो
अंदर से तुम बेहाल हो
फिर भी तुम्हें मुस्कुराते रहना है
अब तो मुस्कान ही तुम्हारा कहना है
फिर तो मुसीबतों का भी क्या ही कहना है
क्योंकि
जगत की ये रीति वही पुरानी है
असफलता के बाद ही लिखी जाती
सफलता की कहानी है
भले ही वो चाह कितनी ही पुरानी है
तुम हार चुके हो
तुम थक चुके हो
दौड़ दौड़ कर पसीना बहा चुके हो
फिर भी तुम्हें चलते जाना है
मंजिल थोड़ी देर से भले ही मिले
फिर भी तुम्हें धीरे-धीरे ही सही
लेकिन चलते...