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स्वतंत्रता या आजादी
मात्र 10 दिन अपनी स्वयं की इच्छा से जी कर देखिए, बिल्कुल मुक्त और स्वछंद होकर देखिए, आप पाएंगे कि स्वतंत्रता केवल नारेबाजी में ही अच्छी लगती है, और परतंत्रता ने हमारे सारे जीवन को घेरा हुआ है, ध्यान रखना- स्वतंत्रता का पिंजरों से कोई लेना -देना नहीं हैं, क्योंकि पिंजरे लोहे के नहीं बल्कि विचारों के बने होते हैं! आज़ादी स्वयं के विचारों को स्पष्ट रूप से रखने की और जीवन को इसकी संपूर्णता में जीने की होती है!
-क्या हम सच में आज़ाद हैं?
© ◆Mr Strength