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एक शख्स
पता नही क्यों लेकिन
था एक अलग एक नया एहसास
देखी जब भी उसको
मिला जैसे दिल को सुकून
देखे बस चली जा रही थी
थम गए थे कदम और सांसे तेज हो रही थी
कोई तो बात थी उसमे
जिससे मैं थी महरूम
कुछ भी तो नहीं जानती थी उसके बारे
फिर क्यों इतना अपना सा लगता है
जानना चाहती हूं उसके बारे सब कुछ
बताना चाहती हूं उसे अपना सुख दुख
क्यों हैं उससे इतना लगाव मुझे
क्या इसे ही कहते हैं मोहब्बत
जिसके बारे पता नही है मुझे।।
© Aaliya
था एक अलग एक नया एहसास
देखी जब भी उसको
मिला जैसे दिल को सुकून
देखे बस चली जा रही थी
थम गए थे कदम और सांसे तेज हो रही थी
कोई तो बात थी उसमे
जिससे मैं थी महरूम
कुछ भी तो नहीं जानती थी उसके बारे
फिर क्यों इतना अपना सा लगता है
जानना चाहती हूं उसके बारे सब कुछ
बताना चाहती हूं उसे अपना सुख दुख
क्यों हैं उससे इतना लगाव मुझे
क्या इसे ही कहते हैं मोहब्बत
जिसके बारे पता नही है मुझे।।
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