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जिसनें जैसे माना मुझकों
किसी की जरूरत ,तो किसी का प्यार हूँ, किसी का लगाव ,तो किसी का अलगाव हूँ। किसी की छाव ,तो किसी मायूस मन का भाव हूँ, किसी की किस्मत, तो किसी का दांव हूँ। किसी के लिए मात्र लहर, तो किसी की नाव हूँ, किसी की मुस्कराहट, तो किसी का चाव हूँ। किसी का अवसर ,तो किसी की डगर हूँ, किसी घर का चिराग ,तो किसी के जीवन का भाग हूँ किसी का काश, तो किसी के लिए खास हूँ, किसी का एहसास, तो किसी का आत्मविश्वास हूँ। किसी के लिए व्यस्त शहर, तो किसी के लिए फुर्सत से भरा गाँव हूँ, जिसने जैसे माना मुझकों ,मै वैसा आभास हूँ। (डी एस गुर्जर)