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कर्तव्य की शपथ
*कर्तव्य की शपथ*

संघर्ष में यदि हार हुई, तो फिर से मैं लड़ूंगा
घायल हुआ तो क्या, दुश्मन से पुनः भिड़ूंगा

शरीर खोने का डर नहीं, आत्मा रहेगी अमर
अगले जन्म में चुनूंगा, मैं फिर से नया समर

अब छोड़ दिया मैंने, विघ्नों से होना भयभीत
अपने सर को झुकाएगी, मेरे कदमों में जीत

वेदनाएं जो मिलेंगी वो, हंसकर मैं सह लूंगा
साथ कोई ना आए, तो अकेला ही रह लूंगा

चाहे वो सिद्ध हो जाए, मेरे लिए अभिशाप
मैं औरों के जीवन से, मिटाता रहूंगा संताप

और ना कोई दूजा, यही है मेरा कर्तव्य पथ
हर जन्म में लूंगा मैं, इसी कर्तव्य की शपथ

*ॐ शांति*
*मुकेश कुमार मोदी, बीकानेर, राजस्थान*
© Bk mukesh modi