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कोरोना पर विजय
एक कविता और जिसने के लिए मुझे सम्मानित किया गया है कुछ दिनों पहले ही आपके सामने प्रस्तुत करती हूं मै.....

खुशहाल थे लोग,
सुचारू था जीवन।
मिलते जुलते आपस में जब,
तो खिल उठता था मन।
गली मोहल्लों में होती थी चहल पहल गंभीर,
बाजारों में खूब उमड़ती थी भीड़।

पसर गया सन्नाटा चहुं ओर,
कोरोना ने दस्तक दी जोर।
डर का माहौल बना इस प्रकार,
लोग इक्कट्ठे होते भी न दो-चार।

एक देश से फ़ैला ये वायरस,
तांडव कर रहा है वैश्विक स्तर पर,
सरकार ने लगाया लॉकडाउन,
निर्देश दिया रहो अपने घर।

छीक,खासी,ज्वर और स्वास सम्बन्धी विकार,
ये है कोरोना के लक्षण चार।

संक्रमित व्यक्तियो में मृत्यु दर बढ़ रहा,
किसी वस्तु के स्पर्श मात्र से भी मनुष्य डर रहा।
जीवन रक्षा का स्तर भी धीरे- धीरे ऊँचाईयाँ चढ़ रहा,
कोरोना जैसे अदृश्य दुश्मन से वीर देश लड़ रहा।

मास्क ने होठों की मुस्कुराहट भले ही छिपाई है,
कोरोना योद्धाओं ने उम्मीद की किरण दिखाई है।

फिर से सामान्य होगा जीवन,
कितनी भी चुनौतियां हो मार्ग में खड़ी।
स्वच्छता को हम सब अपनाएं,
क्योंकि स्वच्छता ही इसकी विशेष कड़ी।

सबकी सुरक्षा के लिए सामाजिक दूरी
बनाए रखना है, जिम्मेदारी,
तभी तो होगी कोरोना पर विजय हमारी।


© Kavyaprahar