...

8 views

रात ढल रही है….
रात ढल रही है….

ये रात फिर ढल रही है
तेरे ख़्वाबों के नाम होकर

मैं आज फिर डूबा हूँ
तिरी यादों के समन्दर में

मेरे तकिये की कोर
फिर भीगी है आज

मैं ख़ुद अपने आँसुओं की
बारिश के अन्दर हूँ

मैं तिरी बाँहों की तलाश में
भटकूँगा रात भर

इक रांझा, इक फरहाद
इक मजनू मेरे अंदर है

शाम ढले शराब
थाम लेती है मुझको

मैं मयखाने में हूँ
या अब मयखाना मेरे अंदर है

गुम जाऊँगा किसी रात यूँ ही
तन्हाई के आलम में

मौत चौखट पर है
और तेरा गम मेरे अंदर है

मौत चौखट पर है
और तेरा ग़म मेरे अंदर है….

#इश्क_अधूरा_है
© theglassmates_quote