...

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सवाल
जो उबाल सीने में है दफन करूं मैं कैसे
सवालों के जो झंझावत दिल में है सहूँ मैं कैसे

ये कौन है मुझमें जो रोज जहां से लड़ता है
इस बात पर, उस बात पर, रोज सबर करता है

इन रोज के अनर्गल अलापों को नजरअंदाज करूं मैं कैसे
चारों ओर के इस दुःसह शोर में खुद को सुनूं मैं कैसे

मसला ये नहीं की कौन क्या कहता है
मसला ये है की मुझको फर्क क्यों पड़ता है

तूफ़ां तेज है ये जर्जर...