मैं तुम ही हूँ
न छिपाया करो ग़मों को अपने,
ग़र समझ न पाऊँ इशारे तुम्हारे,
तुम बेझिझक सब सुनाया करो,
न घुटा करो अंदर ही...
ग़र समझ न पाऊँ इशारे तुम्हारे,
तुम बेझिझक सब सुनाया करो,
न घुटा करो अंदर ही...