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प्रेम के जुड़ाव
अगर -मगर कुछ तो कहा होगा?
उसने स्वीकार कुछ तो किया होगा?
ऐसे ही कहा जुड़ते है रिश्ते
उसमे भी अब टिक टाक का जमाना
कहा हाथ की रोटी अब मिले
अब तो अपने प्यार में भी कुछ खट्टे होने लगे
कब दीदार होगा जीभर के उस प्यार के हिस्से
रात तो सोशल मीडिया पर आ गयी
परिवार का मान तो किसी को ना चाहिए।
ढेर होती जा रही प्यार की भाषा पहचान
लेकिन वॉट्स ऐप पर रुकती
छत की आदत तो अपने लिए ही हो गयी
सब जगह ताना बाना ही चल रही।
मौसम की बदलने की फितरत भी नही छुपा।
अब तो हर सुबह जगने का बहाने भी नही बचे
शाम की ताजी हवा भी तीखी लगने लगी है।
© genuinepankaj
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