औरत, फ़ितरत और मुहब्बत
हयात-ए-ज़िंदगी में वो इक रौशनी सी है,
औरत की ख़ुश्बू, फ़ितरत की चांदनी सी है
वो अज़मत-ए-वजूद, वो नग़्मा-ए-दिल है,
उसमें महकती मोहब्बत की शायरी सी है
बाज़ू...
औरत की ख़ुश्बू, फ़ितरत की चांदनी सी है
वो अज़मत-ए-वजूद, वो नग़्मा-ए-दिल है,
उसमें महकती मोहब्बत की शायरी सी है
बाज़ू...