...

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एक ख्याल..
एक ख्याल था..जो गुज़र गया
पर न जाने क्यों ख्वाब बन आंखों में ठहर गया
अब रात के साथ दिन में भी सताता है
कहने को तो ख्याल है...मगर खुब रूलाता है
उम्मीद थी कि दिन की रोशनी के साथ..
ये अंधेरा मिट जाएगा
पर हर रोज टूटती है मेरी उम्मीद..
और मन बिखर जाता है
कहने को तो उड़ते पंछी सा ख्याल है.मगर
न जाने क्यों ख्वाब बन आंखों में ठहर जाता है...
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