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कमबख्त दिल है कि प्यार हो गया...By - The Sagar Raj Gupta {श्रृंगार रस कवि }
जब मैं गया उनके द्वार पर , तो उनके नयनों का मेरे नयनों से टकरार हो गया।
बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला पर कमबख्त दिल है की प्यार हो गया.....

जब मैं उनके भाइयों को पढ़ाऊँ ,
उनका मेरे पास आना - जाना।
बंधे बालों को भी खोलकर ,
यूं झटके से उन्हें ऊपर उठाना।
कैसे रोक पाता इस दिल को जो उनके यहाँ गिरफ़्तार हो गया ।
बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला पर कमबख्त दिल है की प्यार हो गया.....

पढ़ाने के अंत में उनका चाय लेकर आना,
सर-सर कहकर बिस्कुट खिलाना,
पानी लाते समय मंद-मंद मुस्काना और,
मेरे जाते समय उनका आँख भर आना ।
कैसे बताऊँ की उनका चेहरा देखे बिना मेरा पूरा दिन पहाड़ हो गया ।
बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला पर कमबख्त दिल है की प्यार हो गया.....

फिर दूसरे दिन आते ही उनका चेहरा खिल जाना,
कभी-कभी प्रणाम करके गले मिल जाना,
पूरे दिन के कहानी को बस पाँच मिनट में कह जाना,
फिर मुझे एकटक से निहारते रह जाना ।
उनकी चेहरा और सादगी पर मेरा दिल रफ़्तार हो गया ।
बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला पर...