तुम्हे तुम्हारा मौन नोच डालेगा..
नव अंकुर सी कली ना जाने कौन नोच डालेगा..
हे गूंगे मालियों तुम्हे तुम्हारा मौन नोच डालेगा..
देश धर्म और राष्ट्रवाद की बातें करते हो बड़ी बड़ी..
फिर क्यों तुम्हारी छाया में हैं,यह मासूम बेटियां डरी..
राजनीती और भृष्टाचार से फुर्सत गर तुम पा जाओ ..
तो ऑंखें खोलकर देख लो,दर पर लहूलुहान बेटियां खड़ी..
देशभूमि की दिव्यं मढ़ियाँ,आतीं घर स्वर्ग बनाने को..
और यहाँ पर कितने दानव घूमें उन्हें जलाने को..
2 महीने, 2 - 4 बरस की बच्ची अभय नहीं है जब..
तो...
हे गूंगे मालियों तुम्हे तुम्हारा मौन नोच डालेगा..
देश धर्म और राष्ट्रवाद की बातें करते हो बड़ी बड़ी..
फिर क्यों तुम्हारी छाया में हैं,यह मासूम बेटियां डरी..
राजनीती और भृष्टाचार से फुर्सत गर तुम पा जाओ ..
तो ऑंखें खोलकर देख लो,दर पर लहूलुहान बेटियां खड़ी..
देशभूमि की दिव्यं मढ़ियाँ,आतीं घर स्वर्ग बनाने को..
और यहाँ पर कितने दानव घूमें उन्हें जलाने को..
2 महीने, 2 - 4 बरस की बच्ची अभय नहीं है जब..
तो...