...

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रूह की कैद में तब्दील होकर पिंजरबध्द में एक व्यर्थ बहाव की ओर ।।
रूह की कैद में तब्दील होकर,
और तब्दील होकर पिंजरबध्द हो गई,
और यह फिर अल्फाज़ में पिरूह होकर,
वह कैद में तब्दील होकर,
वह पिंजरबध्द हो गई,
और फिर धीरे से ही मगर -
इस तरह से रूह की कैद में तब्दील होकर,
वह पिंजरबध्द में ही -
एक व्यर्थ बहाव की ओर बहती हुई चली गई,

जो कि जो कि एक अंक था ,
जिसे कोई भेद नहीं सकता था,
जो कि कहीं ना कहीं लगता हो जैसे -
एक रूह की कैद में ,
तब्दील होकर पिंजरबध्द हो गई,
मगर रूह की कैद -
एक व्यर्थ बहाव की कैद में से,-
वह पिंजर बध्द जरूर कहलाई -
मगर एक मोक्षदायिनी की छवि की एक परछाई -
में और फिर...