मन बंजारा
बिछड़कर आसूँ बहाता रहा कोई
मिलन की आस लिये जी रहा कोई
प्रियतमा से दूर तडप रहा कोई
तन्हाई मे जूठ को सच्च मान रहा कोई
प्यार में धोखा लिये मुस्कुराता रहा...
मिलन की आस लिये जी रहा कोई
प्रियतमा से दूर तडप रहा कोई
तन्हाई मे जूठ को सच्च मान रहा कोई
प्यार में धोखा लिये मुस्कुराता रहा...