मेरी संगीनी
वो भी क्या दिन थे
जब तुम मेरे संग थी
तुम ही मेरा दर्द, तुम ही मेरी दवा भी थी
और तुम ही मेरा होंसला भी थी
मेरी जान ...
जब भी होता था कोई मुसीबत में
तब तुम ही तो मुझे याद आती थी
जब भी होता हूं मैं तुम्हारे संग
भूल जाता हूं अपने सभी दुःख दर्द
तुमसे मिलकर ही तो
मैंने जिंदगी से लड़ना सीखा है
चाहे कैसी भी तकलीफ हो ...
जब तुम मेरे संग थी
तुम ही मेरा दर्द, तुम ही मेरी दवा भी थी
और तुम ही मेरा होंसला भी थी
मेरी जान ...
जब भी होता था कोई मुसीबत में
तब तुम ही तो मुझे याद आती थी
जब भी होता हूं मैं तुम्हारे संग
भूल जाता हूं अपने सभी दुःख दर्द
तुमसे मिलकर ही तो
मैंने जिंदगी से लड़ना सीखा है
चाहे कैसी भी तकलीफ हो ...