कैदी
के जहान में खूबसूरती ईश्क के बाद है।
बस दर्जा दे दे मुझे अपने आशिक़ होने का
इतनी सी फरियाद है।
न ज़िक्र न फिक्र ज़माने की ,
बस जहन में उनकी याद है।
हासिल हुए जब भी किसी को ,
वो होता...
बस दर्जा दे दे मुझे अपने आशिक़ होने का
इतनी सी फरियाद है।
न ज़िक्र न फिक्र ज़माने की ,
बस जहन में उनकी याद है।
हासिल हुए जब भी किसी को ,
वो होता...