आज मेरा हाल
सुनो, बैचेन हूं मैं आज फिर,
थोड़ा परेशान हूं मैं आज फिर
सांसें बहकी सी नब्ज जमी सी है
कोई उठा तो है तुफान आज फिर
एक साया दिखा दूर अंधेरे में
पर आया ना पहचान आज फिर
आहट हुई पर आया कोई नहीं
महफ़िल है वीरान आज फिर
शायद मेरा ही दिल बोल रहा है
यूं तो सूना है मकान आज फिर
मंसूबे सारे मेरे उल्टे पड़ रहे हैं
शायद शुरू है इम्तिहान आज फिर..
थोड़ा परेशान हूं मैं आज फिर
सांसें बहकी सी नब्ज जमी सी है
कोई उठा तो है तुफान आज फिर
एक साया दिखा दूर अंधेरे में
पर आया ना पहचान आज फिर
आहट हुई पर आया कोई नहीं
महफ़िल है वीरान आज फिर
शायद मेरा ही दिल बोल रहा है
यूं तो सूना है मकान आज फिर
मंसूबे सारे मेरे उल्टे पड़ रहे हैं
शायद शुरू है इम्तिहान आज फिर..
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