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अपूर्ण प्रेम..
अपूर्ण प्रेम की परिभाषा अलग है,
ढेर सारे मनोक्षाओं का किस्सा अलग है।

समीप रहकर भी दूरियां बनी रहती है,
प्रतिदिन देखकर भी हर घड़ी उसे ही देखने की ईच्छा रहती है।
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