ग़ज़ल
तेरे बिना न कोई भी अपना दिखाई दे
सपना कोई सुनहरा उजड़ता दिखाई दे
ज्यों चाॅंद अर चकोर का रिश्ता है आपसी
क़िरदार मेरा तुझसे निखरता दिखाई दे
तू...
सपना कोई सुनहरा उजड़ता दिखाई दे
ज्यों चाॅंद अर चकोर का रिश्ता है आपसी
क़िरदार मेरा तुझसे निखरता दिखाई दे
तू...