ऋतुवर्तन
स्पर्श से लेकर
प्रस्फुटन तक
तुम्हारी अपूर्ण शोध को
सम्पूर्णता से अंकित कर लेने
मेरी कोमलिका का मन
प्रकृति की प्रयोगशाला
से टपकते
प्रेम रसायन में
फिर से भीगने में भाया है
ये मेरी पादप पर्णी पर
ऋतु परिवर्तन है
या तुम्हारे मेघो ने
मल्हार गाया है
© Ninad