धूप के सफ़र में
धूप के सफ़र में कुछ ख़्वाब मेरे अब तो आँख मलने लगे हैं,
कैसे चलूँ ऐ ज़िंदगी तू ही बता अब तो पैर भी जलने लगे हैं,
बिखरे ख़्वाब कुछ ऐसे...
कैसे चलूँ ऐ ज़िंदगी तू ही बता अब तो पैर भी जलने लगे हैं,
बिखरे ख़्वाब कुछ ऐसे...