...

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लगता है एसा।
इस जीवन के सफर में लगता है कि
पंछी की तरह बड़ी उड़ान भरू उन बादलों के साथ आपना एक नया रिश्ता बनाऊं।
लगता है एसा कभी कभी पानी के झरने जैसी बेहती चली जाऊँ जिसका कभी अंत ना हो।
लगता है एसा कभी कभी उन शिखरों जैसा ऊँचा बनूँ जहाँसे सब देख सकूं।
लगता है मुझे एसा की सागर जैसा विशाल बनूँ जिसमें सभी खुशियां समा जाये और थोड़ी थोड़ी खुशियां सभी के जीवन में बाट सकूं।