...

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" कंठ और वीणा "
तन तेरा वीणा और कंठ है तार,
दोनों ही छेडें सुर और संगीत अपार,
माँ सरस्वती की महिमा जिस पर अपरंपार,
वो कहलाए हंसवाहिनी, वरदायिनी
और होए जग में उसकी जय-जयकार !

जैसे मन से पाकर भाव रंग-बिरंगे,
कंठ लगाए गोते सुर-सागर में सरपटवार,
वैसे ही...