...

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जंजीरें

जंजीरें बाँध देती हैं
बँधना भी जरूरी है
कभी बंधन मज़बूरी हैं लगते
कभी लगता कि और कस के
पकड़ लें
बंधन हमें और जकड़ लें
ज़िंदगी आज़ादी और बंधनों का मेल है
कभी बंधे तो कभी खुले
सब मनमर्जी का खेल है ।
© Geeta Yadvendu